poetry on mother in hindi New
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यू तो बचपन से मेरी माँ ने मुझे हँसना सिखाया था
पर रोना ऐ जिंदगी तूने मुझे शिखाया है
मेरी माँ के जाने के बाद ऐ जिंदगी तूने अपना असली रंग दिखाया है
मेरे बचपन से ही मेरी हंसी मेरी खुसी सबसे प्यारी थी मेरी माँ को
ये सब छीन कर भी तूने मुझे जीना शिखाया है
ऐ जिंदगी मेरी माँ के जाने के बाद तूने अपना असली रंग दिखाया है
जिस लड़की को बिना डरे उसकी माँ ने जिना शिखाया था
गलत के खिलाफ आवाज उठाना उसकी माँ ने सिखाया था
आज उसके गलत देखते हुए भी चुप रहना तूने सिखाया है
ऐ जिंदगी मेरी माँ के जाने के बाद तूने अपना असली रंग दिखाया है
बचपन मे मेरी माँ मेरी एक आवाज से मेरी हर ख्वाहिश पूरी कर जाती थी
आज अपने ख्वाहिशो की दबाना मुझे तूने सिखाया है
ऐ जिंदगी मेरी माँ के जाने के बाद मुझे तूने अपना असली रंग दिखाया है
यू तो बिना खाये सोने नही देती थी मेरी माँ मुझे
आज बिना खाये मुझे तूने सिखाया है
ऐ जिंदगी मेरी माँ के जाने के बाद तूने मुझे अपना असली रंग दिखाया है
रिस्तो की कीमत बचपन से ही सिखाई थी मेरी माँ ने मुझे
पर उन रिस्तो को छोटी उमर में निभाना तूने सिखाया है
ऐ जिंदगी मेरी माँ के जाने के बाद तूने अपना असली रंग दिखाया है
अक्सर जब मैं अपने माँ से गुस्सा हो जाया करती थी तो मेरी माँ ने मुझे बढे प्यार से मनाया करती थी
आज जब मैं गुस्सा हो जाती हूं तो खुद की ही कोस जाती हूं
कमरे में जाकर रोती हूं और खुद को ही चुप कराती हूं
ये हुनर भी मुझे तूने सिखाया है
ऐ जिंदगी मेरी माँ के जाने के बाद मुझे तूने अपना असली रंग दिखाया है
अक्सर मैं जब काम से थक कर घर आती थी
तो मेरी माँ मेरे लिए खाना बनाती थी
और मैं उस खाने में भी नखरे दिखाती थी
आज जब मैं थक कर आती हूं तो खुद ही खाना बनाती हूं
वो जला भी होतो चुप चाप खाती हूं ये हुनर भी मुझे तूने सिखाया है
ऐ जिंदगी मेरी माँ के जाने के बाद तूने मुझे अपना असली रंग दिखाया है
हाँ ये सच है की मेरी माँ ने मुझे बहोत कुछ सिखाया था
पर मुझे मेरी जिंदगी का असली मलतब माँ के जाने के बाद समझ आया है
ऐ जिंदगी मेरी माँ के जाने के बाद तूने अपना असली रंग दिखाया है
poetry on mother in hindi 20+ maa
याद जब भी आती है माँ तेरी
याद जब भी आती है माँ तेरी…
मैं बस चाँद को देख लेता हूं
तू मुझे दिखे या ना दिखे मैं तुझे देख लेता हूं
मेहेशे नाकाम इश्क़ नही
मेहेशे नाकाम इश्क़ नही …
मेरी बर्बादियों के मंजर है बहोत से
माँ रो देगी मुझे यू देख इसलिए मैं घर नही जाता
माँ रो देगी मुझे यू देख बस यही सोच मैं घर नही जाता
और शायर युही नही बना मै अगर वो दामन ना छोड़ते तो मैं निखर नही पाता
कैसे हार मान जाँऊ मैं उन तकलीफो से
मेरी तरक्की के आस में
की कैसे हार मान जाऊँ मैं उन तकलीफो से
तरक्की के आस में मेरी माँ आज भी कब से आस लगा बैठी है
तुम क्या जानो की माँ क्या होती है
माँ हमारी जमीं और आसमाँ होती है ..
जब जरूरत पड़ती है हमें बून्द की
तो अपने छाती से वो हमें समुन्दर पिलाती है
और जरूरत पर वो खुद भूखे सो जाती है
तुम क्या जानो की माँ क्या होती है
यही माँ कभी तुम्हे सर्वंन बनाती है
यही माँ कभी तुम्हे मोहम्मन बनाती है
लेकिन माँ खुद माँ ही रह जाती है
तुम क्या जानो की माँ क्या होती है
माँ ना होती तो ये जमीं आसमाँ ना होता
अगर माँ ना होती तो ये जमीन और आसमान ना होता
माँ ना होती तो ये सारा जहांन ना होता
माँ नाम की गजब तलब लगी थी उसे भी लगी कई जबरदस्त प्यास
उठायी कलम लिख डाली दस्ता
लगता था माँ मेरी बैठी थी उदाश
मैने देखी है इस जालिम दुनिया को दुख की घड़ी में मांगती है मन्नत
अरे माँ की सेवा कर ले मेरे दोस्त तुम्हे जीते जी मिल जाएगी जन्नत
जब जब मैं इस जालिम दुनिया को देखता हूं …
मेरा भी मन करता है बन जाऊं धांशू
पर माँ तेरा आँचल वो याद आता है
बस तूने ही तो पोछे थे मेरे आँशु
माँ परदेश में नौकरी करता हूं ..
माँ परदेश में नौकरी करता हूं याद आती है तेरी
पास होकर भी दूर हूं तुझसे यही है
यही तो मजबूरी है मेरी
poetry on mother in hindi shayari images
मेरी माँ खुदा करें आंखे तेरी नम ना हो …
मेरी माँ खुदा करें आंखे तेरी कभी हम ना हो जिस राह पे तू चले उस राह पे कभी कोई गम ना हो
आये दुख की घड़ी जिस दिन तेरे पे ….
खुदा करे उस दिन इस दुनिया मे हम ना हो
अजब गजब की दुनिया देखी और देखे दुनिया वाले …
मेरे राहो में तो आँगारे बोये थे
पर मेरी माँ के आशीर्वाद से ना पड़ सके मेरे पाँव में छाले
साहब जिसकी माँ नही होती …
साहब जिसकी माँ नही होती उससे पूछो क्या होती है माँ की ममता
आज तूने मुझे इस काबिल बनाया वर्ना मेरे में कहॉ थी इतनी क्षमता
मेरे बुरे वक्त को देख मेरे दोस्तों ने भी साथ छोड़ दिया
और वो मेरी माँ की दुआ है
जिसने बुरे वक्त का भी रुख मोड़ दिया
जो खुदा है उसे खुदा कहता हूं
वो मेरे घर मे रहता है उसे माँ कहता हूं
जो कपड़ा मुझे छाँव देता है मुझे धूप से
उसी आँचल को मैं आसमाँ कहता हूं
तेरा गुरुर उन्ही बांतो से है जो अक्षर कभी पढ़ना सिखाये
तेरी सेहत उसी पोषन से है जो फल फूल कभी उसने खिलाये
यू तो माँ का अर्ज हर भाषा मे समान है लेकिन माँ का असली
भावार्थ किसी उपन्यास में नही आज जो तू पैरो पर अपने दीवाने सा और करे उसका अपमान है तू करे उसकी त्याग का परमान ये उसकी किस्मत में नही
का उस मासूम अनाथ से मिल तू उसकी दिल मे माँ की तस्वीर पायेगा
और जब तू अपनी माँ की आखिरी शब्द सुनेगा मान या ना मान आँशु तेरे भी आएंगे
पैरो से जमीन तेरे भी निकल जाएंगे
और जब यहशास तू इसका पाएगा कहां जाएगा
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