hindi me love dosti poem
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जो ना रूठे मोहब्बत में फिर वो दिलदार कैसा है ..
अगर जो मान जाए दिल तो फिर वो प्यार कैसा है अगर ना हो दर्द जीने में तो समझो इश्क़ अधूरा है रुलाकर मुझको खुद रोये मेरा तो यार ऐसा है
चौकठ पर उसके खड़े उहे ...
चौकठ पर उसके खड़े उहे एक पहर देखकर आया हूँ तुम हाले दिल अब ना पूछो उसका सहर देखकर आया हूँ …
किरदार बया क्या मैं उसकी करू बस इतना ही तुम जान लो मानो दवा की सीसी थी उसमें जहर देखकर आया हूँ
की मिला हुआ दर्द हर अब सहा जा रहा है ..
मिला हुआ हर दर्द अब सहा जा रहा है वो बेवफा है पर उसे बेवफा कहाँ कहा जा रहा है
और तुझे गलत फैमि है की तुझे लोग चाहते है जरा हम भी देखे तो तुझपे मरने को कौन मरा जा रहा है
Kya तुम सच में उससे प्यार करते हो…
क्या तुम सच में उससे प्यार करते हो वो तुमसे कितनी वफ़ा रखती है अगर ये बताने के तुझसे उसे अपनी सारी यादे मिटानी पड़े और अपनी पेनड्राइव में पड़ी हुई पुरानी हर तस्वीर मिटानी पड़े तो क्या तुम सच मे उससे प्यार करते हो ।
अपनी लोवलिटी दिखाने के लिए तुम्हे अपनी सोसल साइट्स का पासवर्ड बतानी पड़े और एक फोटो अपलोड करने से पहले सौ बार तुम्हे दिखाना पड़े तो क्या तुम सच में उससे प्यार करते हो
उसके कपड़े का रंग कैसा हो ये भी तुम दिखाते हो और ये भी की वो किससे बात करे या ना करे ये भी तुम बताते हो तो
Kya तुम सच मे उससे प्यार करते हो ।
उसके सामने अगर कोई तुम्हे फ्लर्ट करे तो मुस्कुरा देती है लेकिन अगर तुम्हारे सामने उसकी कोई तारीफ करे तो तुम गुस्सा करते हो तो क्या तुम सच में उससे प्यार करते हो
एक बन्द अंधेरे कमरे में भी वो तुम्हारे साथ सेव फील करे और रोड क्रॉस करते समय वो तुम्हारा हाथ पकड़ कर चलने से ना डरे तो हा मेरे दोस्त तुम सच मे उससे प्यार करते हो ।।
Hindi sweet dosti poem शायरी
मेरी वफाओ के बदले वो वफ़ा कहा दे रहा है ..
मेरी वफाओ के बदले वो वफ़ा कहा दे रहा है उसकी हसी के बदले इक सख्स अपनी जहा दे रहा है खुदा खैर करे उससे उसका रूपट्टा तक नही सम्भलता वो सख्स मुझे सम्भलने की सलाह दे रहा है
और उसके बगैर भी तूने मेरे जिससे जिंदगी लिखी है खुदा मेरे ना जाने कौन सा सख्स मेरे हिस्से बद्दुआ दे रहा है
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हसरते दिल की आरजू है कि मानती नही ..
हसरते दिल की आरजू है कि मानती नही ओ आज देखती ऐसी है जैसे मुझको पहचानती नही
की उसकी लहराती जुल्फों की साये में खोया दिल में जब टकराई नजरे हमारी बीच चौराहे में
उसके माथे की ओ काली बिंदी लड़खलाया दिल और भूल गया उस वक्त मैं अपनी सारी हिंदी
उसके नाको की नथुनी से कत्ल होना ही था उससे मिलने के लिए ख्वाबो में अब तो दिन रात मुझको सोना ही था
उसकी आवाज भी बासुरी सी सुरुली थी नैनो की खूब सुरति भी स्वक्छ नभ सी नीली थी
अलभाज भी उसके मुंह से फूटते हुए ऐसे लगते थे पावन नदियों के सोर के वो जैसे लगते थे
सूट भी पहना था उसने उस दिन इक ऐसे रंग का जैसे रखा हो ख्याल उसने मेरी पसंद का
उसकी ओठो की लाली भी जैसे रंग गुलकन्द का शरीर भी ऐसा जैसे पिरोया हुआ हर्फ़ कोई छंद का
अंदाज भी उसका जैसे घुमड़ते मेघो से ढंग सा ऐलान हो गया था मोहब्बत का उस दिन दिल मे जंग का
उसकी हर अदाओ पर ये दिल अब मै हारने लगा था बिना बात किये वो जिंदगी में मेरे हो गया अब सगा था
कैसे बताऊ मैंने उसके लिए हर रात जाग जाग कर बिताई थी
और जब हां बोला था उसने
की ये बात मैने सबको भाग भाग कर बिताई थी
जब विस्वास तोड़ा उसने तो विस्वास ना हुआ उसे दुबारा पाने की चाहत में पड़ी मैंने हर मजहब की दुआ
आंखों में बस गयी नमी अश्को ने उसको इतना छुआ मरा जो आजतक उसके दिल मे ना हुआ कोई सिकवा कोई शिकायत नही है मुझे उससे
बस कुछ सवाल आ जाते है मन उसकी यादो की धुन से
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